उत्तर प्रदेश सोलर नेट मीटरिंग पालिसी | आपने सोलर के क्षेत्र में ऑनग्रिड सोलर सिस्टम और ऑफग्रिड सोलर सिस्टम के बारे में तो सुना ही होगा। ऑनग्रिड सोलर सिस्टम ग्रिड के साथ मिलकर वर्क करता है, ऐसे में इस सिस्टम के लिये नेट मीटरिंग का प्राविधान किया गया है। नेट मीटरिंग क्या है? और यह कैसे काम करता है? नेट मीटरिंग से क्या फायदा है? आज के इस आर्टिकल में हम इन्हीं सब बातों पर चर्चा करेंगे।
कैसे काम करती है नेट मीटरिंग | what is net metering in solar system
अभी तक आपके घर पर जो बिजली मीटर लगा है उसमें आपने कितने यूनिट बिजली खर्च की यह दिखाया जाता है, वहीं जब आप सोलर सिस्टम लगवाने के बाद नेट मीटिरिंग करवाते हैं तो आपके घर के पुराने बिजली मीटर को बदलकर एक ऐसा मीटर लगाया जाता है जो आपने कितनी बिजली ग्रिड से ली वह तो दिखाता ही है साथ ही आपने यदि अपने सोलर सिस्टम से तैयार बिजली ग्रिड को दी तो उसके यूनिट में दिखाता है। ऐसे में आपको यह पता चल जाता है कि आपने ग्रिड से कितने यूनिट बिजली ली है और कितने यूनिट बिजली ग्रिड को दी है।
कौन करवा सकता है नेट मीटरिंग? | Solar net metering uttar pradesh
उत्तर प्रदेश में विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित निर्देशों के अनुसार उत्तर प्रदेश के सभी घरेलू उपभोक्ता नेट मीटरिंग सिस्टम लगवा सकते हैं। इसके साथ ही यदि कोई हाउसिंग सोसाइटी अपनी सोसाइटी में नेट मीटरिंग सिस्टम लगवाना चाहे तो वह भी लगवा सकती है।
क्या दुकान, कारखाने आदि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में नेट मीटरिंग करवाई जा सकती है | Is solar net metering allowed in commercial
नहीं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिये नेट मीटरिंग की अनुमति नहीं हैं, हां व्यावसायिक प्रतिष्ठानों यदि चाहें तो वह ग्राॅस मीटरिंग करवा सकते हैं।
ग्राॅस मीटरिंग क्या है? यह कैसे काम करती है? | What is net metering and gross metering
उत्तर प्रदेश में काॅमर्शियल सेक्टर के लिये ग्राॅस मीटरिंग का प्राविधान है, ग्राॅस मीटरिंग में सोलर से उत्पादित होने वाली जो बिजली को डिस्काॅम को सप्लाई की जाती है उसका भुगतान एक निर्धारित दर पर डिस्काॅम द्वारा सोलर प्लांट ओवनर को किया जायेगा।
नेट मीटरिंग से क्या फायदा है | Benefits of solar net metering
नेट मीटरिंग का अर्थ है कि आपने जो बिजली ग्रिड में दी और जो बिजली ग्रिड से ली उसको नेट किया जाता है। इसको एक उदाहरण से इस तरह समझ सकते हैं कि यदि आपने एक महीने में 500 यूनिट ग्रिड से लीं और 400 यूनिट ग्रिड को दीं तो आपको मात्र 100 यूनिट का बिजली बिल जमा करना होगा।
ऐसे में उपभोक्ताओं के हजारों रुपये के बिल घटकर महज कुछ सौ रुपये के फिक्स्ड चार्ज तक सीमित रह जायेंगे।
इसी के साथ यदि आपने कुल खर्च की गई बिजली से अधिक बिजली डिस्काॅम को दी है तो वित्तीय वर्ष के अंत में आपके द्वारा दी गई अतिरिक्त यूनिटों का डिस्काॅम द्वारा आपको भुगतान कर दिया जायेगा।
डिस्काॅम क्या है? कैसे पता करें हमारा डिस्काॅम कौन सा है? | What is discom name in electricity bill
उत्तर प्रदेश में कई क्षेत्रीय बिजली वितरण कंपनियां हैं, जैसे दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम, केस्को, उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड आदि। ऐेसे में आप अपने बिल पर देखकर पता लगा सकते हैं कि आपके क्षेत्र में कौन सा डिस्काॅम है।
नेट मीटरिंग में कितना खर्चा आयेगा
उत्तर लखनउ, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज आदि मंे स्मार्टमीटर डिस्काॅम द्वारा इंस्टाल किये जा रहे हैं, स्मार्टमीटर में नेटमीटर का भी प्रावधान है। हालांकि स्मार्टमीटर में नेटमीटर एक्टिवेट कराने के लिये लगभग 1500 रुपये की फीस जमा करनी होती है। वहीं जिन जनपदों में स्मार्टमीटर नहीं हैं वहां नेट मीटर के लिये उपभोक्ताओं को मीटर की कीमत 4 हजार से लेकर 6 हजार तक जमा करनी पड़ सकती है।
कहां से करवायें नेटमीटरिंग
आपको अपने एरिया के डिस्काॅम के पास नेटमीटरिंग के लिये आवेदन करना होगा।
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