पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत सोलर प्लांट लगवाने के लिये केन्द्र एवं राज्य सरकार की ओर से कुल मिलाकर 75 फीसदी से लेकर 90 फीसदी तक की सब्सिडी मिलती है। इस सब्सिडी के कारण सोलर पम्प लगवाने वाले किसानों की भीड़ उमड़ती है। आवेदन शुरू होते ही दिया गया टार्गेट फुल हो जाता है। लेकिन इस आपाधापी में कई ऐसे लोग भी सोलर पम्प प्राप्त कर लेते हैं जो वास्तव में इसके पात्र नहीं है।
सोलर पम्प की पल पल की खबर रहती है सरकार को
कई बार ऐसा भी देखने में आया है कि कुछ प्रभावशाली लोग सरकारी योजना का फायदा उठाकर अपने व अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कई सोलर पम्प का आवेदन कर देते हैं, और अधिकारियों की साठ गांठ से उन्हें पम्प मिल भी जाते हैं, बाद में वह अतिरिक्त सोलर पम्प को या तो बेच देते हैं अथवा पम्प के साथ मिले सोलर पैनलों को किसी दूसरे में काम में लेने लगते हैं।
सोलर पम्प बेचा तो बढ़ेगी मुसीबत
लेकिन अब ऐसे लोगों की मुसीबतें बढ़ने वाली है। वैसे तो जब सोलर पम्प दिया जाता है तब किसानों से एक शपथपत्र लिया जाता है कि वह सब्सिडी में मिले सोलर पम्प को न तो बेचेंगे और न ही उसके पैनलों का किसी व्यावसायिक कार्य के लिये इस्तेमाल करेंगे। इसके बाबजूद लोग सब्सिडी पर मिले सोलर पम्प को बेच देते हैं और सोलर पम्प बंद कर सोलर पैनल दूसरे कामों में भी इस्तेमाल लेते हैं।
लेकिन अब सरकार भी होशियार हो गई है। ऐसे खुराफाती लोगों की कारस्तानी को पकड़ने के लिये अब बिल्कुल फुलप्रूफ इंतजाम किये गये हैं। अब सब्सिडी पर मिलने वाले सोलर पम्प में एक विशेष जीपीएस आधारित चिप लगाई जाती है। इस चिप के माध्यम से सरकार के पास सोलर पम्प से जुड़ी सारी सूचनायें हर 15 मिनट पर पोर्टल पर अपडेट होती रहतीं हैं।
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