सोलर रूफटॉप योजना
सोलर पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों को स्वचालित रूप से संबंधित राज्यों को भेजा जाता है, राज्यों की नोडल एजेंसी के माध्यम से उपभोक्ता द्वारा किए गए सोलर प्लांट इंस्टॉलेशन के आवेदन को उपभोक्ता के क्षेत्र की विद्युत वितरण कंपनी यानी डिस्कॉम को अग्रसारित कर दिया जाता है. डिस्कॉम द्वारा उपभोक्ता से संपर्क कर उसके घर का विजिट किया जाता है और उसके बाद उपभोक्ता को पंजीकृत सोलर कंपनियों वेंडर्स की सूची उपलब्ध कराई जाती है.
इसके साथ ही उपभोक्ता चाहे तो स्वयं भी अपनी पसंद के किसी भी वेल्डर से सोलर प्लांट लगवा सकते हैं. शर्त यह है कि उपभोक्ता द्वारा चयनित वेंडर सोलर पंप योजना के अंतर्गत पंजीकृत होना चाहिए.
सोलर वेंडर द्वारा उपभोक्ता के घर का सर्वे किया जाता है और सर्वे के उपरांत सोलर इंस्टॉलेशन का कार्य वेंडर की ओर से ही किया जाता है. सोलर इंस्टालेशन के बाद उपभोक्ता नेट मीटरिंग के लिए डिस्कॉम के पास आवेदन करते हैं, डिस्कॉम द्वारा आवेदन की जांच के बाद उपभोक्ता के घर पर नेट मीटिंग की जाती है.
नेट मीटरिंग के अंतर्गत पुराने बिजली के मीटर को हटाकर एक दूसरा आधुनिक बाई डायरेक्शनल मीटर लगाया जाता है. यह मीटर बिजली का इंपोर्ट एक्सपोर्ट दोनों प्रकार की रीडिंग को दिखाता है यानी उपभोक्ता ने कितने यूनिट बिजली ग्रिड से ली है और कितनी बिजली सोलर्स के द्वारा ग्रिडको दी है यह सभी लेखा-जोखा इस मीटर द्वारा रखा जाता है. इसी डाटा के आधार पर उपभोक्ता का बिजली बिल निर्गत किया जाता है.
नेट मीटरिंग के बाद सोलर वेंडर की ओर से कंप्लीशन रिपोर्ट सबमिट की जाती है और सोलर प्लांट की फोटो सहित नेशनल सोलररूफटॉप पोर्टल पर सोलर प्लांट इंस्टॉलेशन कंप्लीट होने की रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है. यह रिपोर्ट ऑनलाइन सबमिट करने के 1 महीने के अंदर सब्सिडी की धनराशि उपभोक्ता के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती है.
योजना के संबंध में अधिक जानकारी अथवा आवेदन करने के लिए उपभोक्ता नेशनल सोलर रूफटॉप पोर्टल https://solarrooftop.gov.in पर विजिट कर सकते हैं. आशा है आपको जानकारी पसंद आई होगी, यदि आपका कोई अन्य प्रश्न है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं .
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