24 घंटे बिजली देगा ये सोलर पैनल | Hydrogen Solar Cell | hydrogen solar panels price in india | hydrogen solar panels| hydrogen solar energy storage

ऐसा सोलर पैनल जो दिन के साथ-साथ रात में भी बिजली बनाएगा, रात में भी बिना बैटरी के अब आप अपने घर के सभी उपकरणों को आसानी से चला पाएंगे, वर्तमान सोलर पैनलों की अपेक्षा तकनीक के मामले में कई गुना आगे होगा यह सोलर पैनल. ये सोलर पैनल दिन-रात बिजली बना सकेगा यानी आपको मिलेगी 24 घंटे बिजली.

रात में भी बिजली बनाने वाला सोलर पैनल

सोलर इंडस्ट्री में आजकल इस तरह के नई तकनीक वाले सोलर पैनल की काफी अधिक चर्चाएं देखने को मिल रही हैं, हमारे साथ भी सोशल मीडिया पर जुड़े हुए लोगों के अक्सर कमेंट आते हैं कि क्या इस तरह का कोई पैनल है? और यदि है तो कैसे काम करता है? तथा कब तक बाजार में आने की संभावनाएं हैं?


तो चलिए आज हम इस पर चर्चा करते हैं और जानते हैं कि आखिर यह टेक्नोलॉजी क्या है? और कैसे काम करती है? और क्या इस तरह का कोई पैनल आने वाला है? और यदि आने वाला है तो कब तक आएगा? 

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सबसे पहले यह बात कि क्या वास्तव में सोलर पैनल की ऐसी कोई टेक्नाॅलाजी आने वाली है जो दिन के साथ ही रात में भी बिजली बनायेगा?

तो इस सवाल का जबाब है कि हां, यह तकनीक आने वाली ही नहीं बल्कि आ चुकी है। सोलर के क्षेत्र में नये इनोवेशन करने के लिये जानी जाने वाली एक कंपनी की ओर से इस तकनीक के सालर पैनल को तैयार कर लिया गया है। कंपनी की ओर से कई एक्सपो में इस सोलर पैनल का प्रदर्शन भी किया जा चुका है। नयी तकनीक के इस सोलर पैनल को हाइड्रोजन सोलर पैनल कहते हैं।

हाइड्रोजन सोलर पैनल क्या है?

हाइड्रोजन सोलर पैनल नयी तरह की तकनीक पर आधारित है, इस पैनल में सोलर और हाइड्रोजन की तकनीक को आपस में मिला दिया गया है। इसकी कार्यप्रणाली काफी कुछ हाइड्रोजन कारों से मिलती जुलती है। दिन के दौरान यह सामान्य सोलर पैनल की तरह की कार्य करता है, पर साथ में यह वातावरण से जल को खींचता है और उसमें से हाइड्रोजन को अलग करके टैंक में स्टोर करता है। जिसका प्रयोग रात में बिजली उपलब्ध कराने के लिये किया जाता है।

यह पारंपरिक सोलर पैनलों से कितना अलग है? । हाइड्रोजन सोलर पैनल की आवश्यकता क्यों?

वर्तमान में प्रचलित सोलर पैनलों से रात के दौरान बैकअप प्राप्त करनके लिये आपको बैट्री बैंक की आवश्यकता होती है। बैटरियों की लाइफ सोलर पैनल की अपेक्षा काफी कम होती है। ऐसे में आपको हर 5 से 6 साल में बैटरियों पर निवेश करना होता है। लेकिन इस पैनल में आपको बैटरी बैंक की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

नयी तकनीक के इन सोलर पैनलों में साॅलिड हाइड्रोजन का प्रयोग किया जायेगा। जैसा कि आप जानते ही हैं कि हाइड्रोजन को सालों साल तक स्टोर किया जा सकता है। ऐसे में जिन इलाकों में वर्ष के किसी महीने में बिल्कुल भी सूरज नहीं निकलता वहां भी यह सोलर स्टोर की गई हाइड्रोजन से अच्छे से कार्य करते रहेंगे।

घरेलू के साथ साथ व्यावसायिक प्रयोग भी कर सकते हैं।

इन सोलर पैनलांे को घरेलू प्रयोग के साथ व्यावसायिक रूप से भी प्रयोग किया जा सकता है।

हाइड्रोजन सोलर पैनल कैसे काम करते हैं?

इस पैनल का फ्रंट सामान्य पैनलों के जैसे ही होता है। लेकिन इसमें कई लेयर होती हैं, इसके पीछे हाइड्रोजन की ट्यूब लगी होती हैं। जो वातावरण से जल को खींचकर उसमें से हाइड्रोजन और आॅक्सीजन को अलग अलग कर देती हैं। हाइड्रोजन को सिस्टम के साथ लगे हुये टैंक में स्टोर कर लिया जाता है। और बताने की तो आवश्यकता ही नहीं कि ग्रीन हाइड्रोजन का प्रयोग घर को बिजली की सप्लाई देने से लेकर कार चलाने तक में आसानी से किया जा सकता है।

साधारण बैट्रियों में पावर को महीनों और वर्षों के लिये नहीं रखा जा सकता है, जबकि हाइड्रोजन को वर्षों तक के लिये स्टोर किया जा सकता है। यह स्वतः डिस्चार्ज नहीं होती और जब भी आवश्यकता हो प्रयोग की जा सकती है।

कब तक बाजार में आयेगे हाइड्रोजन सोलर पैनल

इस सोलर पैनल को बनाने वाली कंपनी सोलहाइड के अनुसार यह सोलर पैनल 2026 तक घरेलू और व्यावसायिक प्रयोग के लिये बाजार में प्रस्तुत कर दिया जायेगा।

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