Solar aata chakki ki puri jankari hindi mein | सोलर आटा चक्की प्लांट | सोलर चक्की कैसे लगाएं
दोस्तों आटा चक्की का काम एक ऐसा व्यवसाय है जो कि सदियों से चलता आ रहा है, और हमेशा चलता रहेगा। यहां तक कि पिछले दिनों कोरोना के कारण लगे लाॅकडाउन में जब सब कुछ बंद हो गया था, उस समय भी आटा चक्की का काम लगातार चलता रहा था, सरकार की ओर से इसे छूट प्रदान की गई थी। हो भी क्यों न, इंसान को रोटी तो चाहिये ही, और रोटी बनाने के लिये चाहिये होता है आटा तो फिर आटा चक्की की जरूरत तो पड़ने ही वाली है।
सोलर आटा चक्की प्लांट
हालांकि अब शहरी क्षेत्रों में पैकेट वाले आटे की मांग भी काफी होने लगी है, लेकिन इस पैकेट वाले आटे को तैयार करने के लिये भी चक्की की ही जरूरत होती है। ऐसे में इस व्यवसाय का स्वरूप भले ही बदलता रहे लेकिन यह एक सदाबहार बिजनेस है। जिसके फेल होने की संभावना शून्य हैं। यदि आप व्यवहारकुशल हैं, मेहनती हैं तो आपको इस व्यापार में सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।
सोलर आटा चक्की क्यों?
दोस्तों जैसा कि आप जानते ही हैं वर्तमान में लगभग हर व्यवसाय में कंप्टीशन हो गया है, ऐसे में परंपरागत डीजल या बिजली से आटा चक्की चलाना काफी मंहगा पड़ता है, वहीं रनिंग काॅस्ट ज्यादा होने के कारण हाड़ तोड़ मेहनत करने पर भी उतना मुनाफा नहीं हो पाता जितना कि होना चाहिये। क्यों कि मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा बिजली बिल या फिर डीजल पर होने वाले खर्चे के रूप में चला जाता है।
सोलर आटा चक्की । एक बार की लागत जीवन भर मुनाफा
सोलर आटा चक्की का सबसे बड़ा फायदा यह है कि एक बार लागत लगाने के बाद आपकी रनिंग काॅस्ट शून्य हो जाती है। यानी आपर्को इंधन या बिजली के बिल पर कोई खर्चा नहीं करना पड़ता। आपके द्वारा सोलर सिस्टम पर लगाई गई कुल लागत महज 2 से 3 साल में पूरी वसूल हो जाती है।
सोलर आटा चक्की कितनी सफल है?
इसके लिये हम आपको एक लाइव उदाहरण के बारे में बताते हैं, उत्तर प्रदेश के जनपद फर्रुखाबाद राजेपुर विकास खण्ड में श्री के कारखाने में आटा चक्की, स्पेलर, धुनकुट्टी आदि मशीने हैं, वह प्रतिदिन लगभग 1.5 से 2 हजार रुपये डीजल पर खर्च करते थे। 2 हजार प्रतिदिन का मान लें तो हर महीने उनका 60 हजार रुपया सिर्फ डीजल पर ही खर्च हो रहा था।
इस खर्च से परेशान होकर अमरपाल जी ने 7 लाख रुपये की लागत से 16 किलोवाॅट का सोलर प्लांट लगवा लिया। सोलर लगाने के बाद उनका डीजल पर होने वाले खर्च पूरी तरह बंद हो गया। उन्होंने वर्ष 2021 में सोलर प्लांट लगवाया था, अमरपाल कहते हैं कि उनकी सोलर प्लांट में लगायी गई कुल लागत महज एक साल में ही वसूल हो गई।
अब ईंधन पर कोई खर्च न होने के कारण वह अच्छी खासी कमाई कर पा रहे हैं।
न बैट्री बदलने का झंझट न खराब होने का डर
सोलर आटा चक्की के लिये लगाये जाने वाले सोलर प्लांट में बैट्रियों का प्रयोग नहीं किया जाता, यही कारण है कि इसमें एक बार सिस्टम लगाने के बाद दोबारा कोई खर्च नहीं होता। बैट्री लेस सिस्टम होने के कारण इसमें किसी प्रकार की खराबी आने की संभावना भी लगभग शून्य होती है।
कैसे काम करती है सोलर आटा चक्की
साधारण आटा चक्की और सोलर आटा चक्की में मुख्य रूप से बस इतना ही अंतर है कि जहां साधारण आटा चक्की डीजल इंजन या बिजली से चलने वाले मोटर से चलती है वहीं सोलर आटा चक्की सोलर की एनर्जी से चलती है। इसमें मोटर को चलाने के लिये सोलर पैनल और वीएफडी का प्रयोग किया जाता है।
सोलर आटा चक्की के लिये कितने सोलर पैनल लगाना चाहिये
सोलर से आटा चक्की चलाने के लिये पैनलों की संख्या और पावर इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितने एचपी की मोटर का प्रयोग कर रहे हैं। उदाहरण के लिये यदि आपके पास 10 एचपी की मोटर है तो आपको 10 किलोवाॅट का सोलर सिस्टम लगाना चाहिये। ऐसे में यदि आप 500 वाॅट के सोलर पैनलों का प्रयोग करते हैं तो आपको कुल 20 सोलर पैनल लगाने पड़ेंगे। हालांकि 10 एचपी की मोटर 8 किलोवाॅट सोलर पैनल से भी चल जायेगी, लेकिन अच्छी परफारर्मेंश के लिये हमेशा थोड़े ज्यादा सोलर पैनल लगाना बेहतर रहता है।
सोलर आटा चक्की के लिये वीएफडी
सोलर आटा चक्की के लिये वीएफडी हमेशा थोड़ी अधिक क्षमता की लगाना ही बेहतर होता है, उदाहरण के लिये यदि आप 10 किलोवाॅट के सोलर पैनल लगा रहे हैं तो आप वीएफडी 20 एचपी की लगा सकते हैं, इससे आपको फायदा यह रहेगा कि यदि भविष्य में आप लोड बढ़़ाना चाहें या मोटर की क्षमता बढ़ाना चाहें तो आप सिर्फ सोलर पैनल बढ़ाकर ही अपना काम चला सकते हैं। आपकी वीएफडी वही काम करती रहेगी।
आटा चक्की के लिये कौन से सोलर पैनल लगाना चाहिये
दोस्तों आटा चक्की के लिये आपको मोनो तकनीक वाले सोलर पैनलों का प्रयोग करना चाहिये, क्यों कि इनकी एफिशिएंशी पाॅली की अपेक्षा बेहतर होती है। लेकिन यदि आपके पास जगह की कोई कमी नहीं हैं तो आप पाॅली पैनलों के साथ भी जा सकते हैं, क्यों कि यह मोनो की अपेक्षा सस्ते होते हैं।
सोलर आटा चक्की के लिये स्ट्रक्चर
सोलर पैनल और वीएफडी के बाद जो तीसरा सबसे महत्वपूर्ण कंपोनेंट है वह है सोलर स्ट्रक्चर। आमतौर पर लोग इसी में कंजूसी कर लेते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि महज कुछ हजार की बचत के कारण आपके लाखों रुपये की लागत खतरे में पड़ जाती है।
कभी भी लोहे के पाइप आदि का स्ट्रक्चर नहीं लगाना चाहिये, क्यों कि यह कुछ ही समय बाद गलने लगते हैं। ऐसे में आपको जीआई या फिर एल्युमिनियम स्ट्रक्चर का प्रयोग करना चाहिये, क्यों कि यह स्ट्रक्चर आपके सोलर पैनलों की तरह लम्बी लाइफ वाला होता है।
सिस्टम की सुरक्षा का रखें ध्यान
सोलर सिस्टम लगवाते समय आपको अर्थिंग और एलए अवश्य लगवाना चाहिये। क्यों कि यह वह उपकरण है जो आपके सोलर सिस्टम की सुरक्षा के लिये बेहद जरूरी है। एलए का प्रयोग आसमानी बिजली से सोलर सिस्टम की सुरक्षा के लिये किया जाता है।
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