Solar panel new technology | यह सोलर पैनल बिजली ही नहीं आपकी कार और बाइक के लिए पेट्रोल भी बनायेंगे | future solar panel technology
अभी सोलर पैनल का प्रयोग बिजली बनाने के लिए किया जाता है, बाजार में सोलर पैनल की कई प्रकार की क्वालिटी और टेक्नोलॉजी उपलब्ध है. दिन पर दिन सोलर पैनलों की एफिशिएंसी यानी बिजली उत्पादन करने की क्षमता को भी वैज्ञानिक बढ़ाते जा रहे हैं. सोलर पैनलों के साइज को छोटा किया जा रहा है और बिजली बनाने की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है. लेकिन अब वैज्ञानिक जल्द ही सोलर के क्षेत्र में कुछ ऐसा करने जा रहे हैं जो कि एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है.
जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने. अब जल्द ही ऐसे सोलर पैनल आने वाले हैं जो न केवल बिजली बनाएंगे बल्कि बेकार प्लास्टिक के कचरे, हवा और सूर्य की रोशनी से रासायनिक क्रिया द्वारा ऐसा ईंधन तैयार करेंगे जिसे आप अपनी कार और बाइक में प्रयोग कर सकेंगे. यानी आप को बाजार से पेट्रोल खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी. यह कोई कपोल कल्पना नहीं बल्कि 100 फ़ीसदी सच होने वाला है.
आइए जानते हैं क्या है यह तकनीक और कैसे यह सोलर के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकती है.
Future solar panel technology
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दरअसल एक ऐसा सोलर पावर रिएक्टर तैयार किया है जो प्लास्टिक वेस्ट की मदद से कार्बन डाइऑक्साइड को "सस्टेनेबल फ्यूल" में बदल सकता है. इतना ही नहीं इस रिएक्टर में होने वाली रासायनिक प्रक्रिया के दौरान कुछ अन्य बेहद उपयोगी रसायनों का भी उत्पादन होता है. रिएक्टर कार्बन डाइऑक्साइड को सिंथेटिक गैस में बदल देता है जो कि बेहद ज्वलनशील है और इसे वाहनों में सीधे ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
परीक्षण के दौरान इस्तेमाल की गई प्लास्टिक की बोतलों को ग्लाइकोलिक एसिड में बदल दिया गया. ग्लाइकोलिक एसिड हेल्थकेयर इंडस्ट्री में कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है मीडिया में आई खबरों के अनुसार ग्लाइकोलिक एसिड का इस्तेमाल लोग समय से पहले त्वचा की उम्र बढ़ने, डार्क स्किन व मुहांसों के निशान के इलाज के लिए करते रहे हैं,
पियर रिव्यू जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार सोलर पावर रिएक्टर औद्योगिक विकास और सामान्य हवा सहित वास्तविक दुनिया के स्त्रोतों से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं मीडियम टर्म में इस तकनीक का उपयोग करके कार्बन उत्सर्जन को इंडस्ट्री से कैप्चर करके और सूरज की रोशनी व प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल करके बेहद उपयोगी ईंधन में बदला जा सकता है.
कैसे काम करता है यह प्रयोग | new solar technology 2023
इस तकनीक में कन्वर्जन प्रोसेस या तो हवा या फ्लूगैस को एक क्षारीय घोल में बबलिंग से शुरू होता है. यह सलूशन कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करता है जबकि नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसी अन्य गैसें बाहर निकलती हैं. यह भी दे हवा में कार्बन डाइऑक्साइड को कंसंट्रेट करती है जिससे काम करना आसान हो जाता है इस सिस्टम में 2 भाग होते हैं एक तरफ कार्बन डाइऑक्साइड का अल्कलाइन सॉल्यूशन है जो कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ता है और यह सिनगैस में बदल जाती है दूसरी तरफ प्लास्टिक ग्लाइकोलिक एसिड में परिवर्तित हो जाता है. अब शोधकर्ता सिस्टम की दक्षता, स्थिरता और स्थिति में सुधार करने पर काम कर रहे हैं.
यह तकनीक कुछ उसी तरह काम करती है जैसे पौधे सूर्य के प्रकाश का उपयोग करके अपना भोजन बनाते हैं. और पोषण प्राप्त करते हैं.
विज्ञान की दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है, ऐसे में अब इंतजार है बाजार में ऐसे सोलर पैनलों के आने का जो आपको बिजली के साथ-साथ ईंधन लिए भी चिंता मुक्त बना दें और आपको पेट्रोल पंप के चक्कर न लगाने पड़े.
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