सोलर से अभी तक बिजली मिलती है लेकिन जल्द ही वह समय भी आने वाला है जब सौर ऊर्जा से आपको तेज गति का इंटरनेट मिलेगा. इतना ही नहीं सोलर पावर्ड यह इंटरनेट दुनिया के किसी भी हिस्से में काम कर सकेगा. खासकर ऐसे इलाकों में जहां पारंपरिक माध्यम से इंटरनेट सेवाएं नहीं पहुंच पाती वहां भी यह अल्टरनेट आसानी से अपनी सेवाएं प्रदान कर सकेगा.
5 internet service provider solar
जैसा कि आप जानते ही हैं कि वर्तमान में इंटरनेट सेवाएं सेटेलाइट के माध्यम से मिलती हैं या फिर फाइबर ऑप्टिक केबल के माध्यम से. सैटेलाइट को स्थापित करना एक बहुत ही खर्चीला काम है जिसमें सैकड़ों करोड़ का खर्च आता है. यह सेटेलाइट पृथ्वी की एक निश्चित कक्षा में रहते हुए इंटरनेट, टेलीविजन प्रसारण, मौसम की जानकारी जैसे जटिल कामों को अंजाम देते हैं.
solar drone
लेकिन अब ब्रिटेन की एक कंपनी ने सैटेलाइट को टक्कर देने वाला एक खास सोलर इलेक्ट्रिक डॉन बनाया है कंपनी का कहना है कि PHASE 5 नाम का यह ड्रोन सेटेलाइट से कहीं अधिक अच्छी तरह से काम करने में सक्षम है.
मीडिया में आई खबरों के अनुसार PHASE 5 का वजन 150 किलोग्राम है, जबकि सेटेलाइट का वजन हजारों किलोग्राम होता है, साथ ही सोलर ड्रोन बनाने की लागत भी सेटेलाइट बनाने की लागत की तुलना में काफी कम है. जहां एक सैटेलाइट को बनाने में सैकड़ों करोड़ रुपए का खर्च होता है, वही इस ड्रोन को तैयार करने में महज कुछ लाख रुपए की लागत आई है.
सोलर ड्रोन और सेटेलाइट में क्या अंतर है?
दोस्तों सेटेलाइट हमारी पृथ्वी के वायुमंडल की चौथी परत में रहते हैं. यहां पर ग्रेविटेशनल फोर्स (गुरुत्वाकर्षण) नहीं होता. इसलिए यह धरती की कक्षा में घूमते रहते हैं सैटेलाइट को इस में लगी हुई बैटरी के द्वारा ऊर्जा प्राप्त होती है. यह बैटरी चार्ज करने के लिए सोलर पैनल का प्रयोग किया जाता है, इसके लिए सेटेलाइट में सोलर पैनल लगाए जाते हैं.
सेटेलाइट किसी भी काम की नहीं रह जाते और यह अंतरिक्ष में कचरे के रूप में पड़े रहते हैं.
अंतरिक्ष में तैयार हो रहा है कचरे का ढेर
यही कारण है कि अंधाधुंध सेटेलाइट छोड़े जाने को पर्यावरण विशेषज्ञ खतरनाक बताते हैं. क्योंकि अंतरिक्ष में काफी तेजी से बेकार हुए सेटेलाइट का कचरा बढ़ता जा रहा है. हजारों टन सैटेलाइट का कचरा इस समय अंतरिक्ष में यूं ही चक्कर लगा रहा है. दिन पर दिन सेटेलाइट छोड़े जाने की बढ़ती होड़ और बेकार हो चुकी सेटेलाइट्स का ऐसे ही अंतरिक्ष में घूमते रहना निश्चित रूप से एक बड़ी समस्या बन सकता है.
सोलर ड्रोन जो के इंटरनेट सुविधा प्रदान करेगा इसकी खास बात यह है यह पृथ्वी के वायुमंडल की दूसरी परत में काम करेगा. सोलर ड्रोन में भी एनर्जी के लिए बैटरी का प्रयोग किया गया है. दिन के दौरान यह ड्रोन सीधे सूर्य की ऊर्जा से काम करेगा साथ ही इसके पंखों में लगे हुए सोलर पैनल बैटरी को भी चार्ज करते रहेंगे. बैटरी इस ड्रोन को रात में काम करने के लिए सक्षम बनाएगी.
इस ड्रोन में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जैसे ही इसकी बैटरी की लाइफ समाप्त होने वाली होगी इसे वापस जमीन पर उतार लिया जाएगा. ऐसे में सेटेलाइट की तरह यह अंतरिक्ष में कचरा बनकर नहीं घूमेगा, साथ ही इसे बार-बार प्रयोग किया जा सकेगा.
ड्रोन से इंटरनेट सुविधा कैसे मिलेगी?
सोलर ड्रोन के विंग की लंबाई 115 फिट है, इनके ऊपर सोलर पैनल लगाए गए हैं. इस ड्रोन में कैमरा, सेंसर, कम्युनिकेशन इक्विपमेंट जैसे 15 किलो ग्राम तक के सामान को आसानी से रखा जा सकता है. यह ड्रोन दूरदराज की ऐसी एरिया जिन इलाकों में वर्तमान में इंटरनेट की सुविधा नहीं पहुंच पाई है उनमें भी 4जी और 5जी इंटरनेट सेवाएं देने में सक्षम है. बेहद कम वजन का होने और लंबे समय तक काम करने की क्षमता के चलते इसे सेटेलाइट टेक्नोलॉजी के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है.
कई अन्य कार्यों में भी मदद कर सकता है सोलर ड्रोन
पृथ्वी की स्ट्रेटोस्फीयर में रहने की वजह से यह पर्यावरण निगरानी, आपदा राहत, सीमा सुरक्षा, समुद्री और सैन्य निगरानी जैसे कार्यों में भी बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है. लंबे समय तक खुफिया जानकारी प्रदान करने, मिलिट्री ऑब्जरवेशन में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है.
मौसम का नहीं होगा कोई भी असर हर मौसम में करेगा काम
इस ड्रोन का निर्माण करने वाली कंपनी BAE के अनुसार यह ड्रोन जब पृथ्वी के स्ट्रेटोस्फीयर में पहुंच जाएगा तो इसको किसी भी तरह के मौसम में आसानी से संचालित किया जा सकेगा, क्योंकि स्ट्रेटोस्फीयर में मौसम या हवाओं का कोई असर नहीं होता.
एक टिप्पणी भेजें