सोलर पैनल टीवी एंटीना और टंकी पर अब नहीं आ पाएंगे बंदर, नई तकनीक का कमाल | बंदरों को देखते ही खुद ही सक्रिय होगी यह टेक्नोलॉजी
देश के ज्यादातर शहरों में बंदरों की धमाचौकड़ी कोई नई बात नहीं है, बंदर लोगों को इतना परेशान करते हैं कि मकान बनाते समय पूरे घर को बंद कराने के चक्कर में लोहे की जालियां और फ्रेमों का प्रयोग किया जाता है जिससे लाखों रुपए की अतिरिक्त लागत आती है. इतना ही नहीं टीवी का एंटीना, पानी की टंकी और सोलर पैनल जैसी चीजों को तो खुले में रहना ही होता है ऐसे में बंदर अक्सर इनमें नुकसान पहुंचाते हैं.
कभी पानी की टंकी का ढक्कन खोलकर उसमें नहाते हैं, तो कभी उछल कूद मचा कर टीवी के एंटीना को टेढ़ा कर देते हैं. सबसे ज्यादा मुसीबत तो अपनी छत पर सोलर पैनल लगाए हुए लोगों को होती है क्योंकि बंदर सोलर पैनल के तार काट देते हैं, साथ ही उन पर गंदगी भी खूब फैलाते हैं.
Bandar bhagane ki machine
लेकिन अब एक ऐसी टेक्नोलॉजी आ गई है जो कि खुद ब खुद बंदरों को भगा देगी, जी हां इस टेक्नोलॉजी में बंदरों को भगाने के लिए 3 तरीके अपनाए जाते हैं जिन्हें क्रम से बंदरों पर प्रयोग किया जाता है. यह तकनीक पूरी तरह ऑटोमेटिक है इसमें लगे हुए सेंसर बंदरों को देखते ही एक्टिव हो जाते हैं और जैसे ही बंदर चले जाते हैं सोते हैं यह सिस्टम बंद हो जाता है.
बंदर भगाने की तकनीक | बंदर कैसे भगाएं
इस तकनीक में बंदरों को सबसे दूर भगाने के लिए 3 तरीकों का प्रयोग किया गया है.
गोली की आवाज
सबसे पहला है गोली की आवाज - इस तरीके में जैसे ही बंदर आते हैं वैसे ही छत पर लगा हुआ सेंसर एक्टिव हो जाता है और सिस्टम में लगे हुए स्पीकर से बंदूक की गोली की तेज आवाज आने लगती है इस आवाज को सुनते ही बंदर भाग खड़े होते हैं.
दुर्गंध वाला स्प्रे
कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बंदर इस आवाज के अभ्यस्त होने के बाद इससे नहीं भागते इसके लिए इस सिस्टम में दूसरा तरीका अपनाया गया है यदि बंदर गोली की आवाज से नहीं भागते तो तुरंत ही दूसरा सेंसर एक्टिव होगा जो की दुर्गंध वाला स्प्रे करता है.
इस तरीके में सेंसर से संदेश मिलते ही दुर्गंध युक्त स्प्रे वहां फैलना शुरू हो जाएगी, इस स्प्रे की दुर्गंध कुछ इस तरह तैयार की गई है कि इसे बंदर सहन नहीं कर पाते और तत्काल वहां से भाग जाते हैं बंदरों के भागते ही सेंसर स्प्रे को बंद कर देता है.
तेज पानी की बौछार
इसके बाद इस सिस्टम में एक और तरीका भी लगाया गया है यदि इन दोनों प्रयोगों के बाद भी बन्दर नहीं भागते तो तीसरा सेंसर एक्टिव होता है जो कि पानी के जेट को अलर्ट जारी करता है. सेंसर द्वारा इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट का कमांड मिलते ही वह तेज पानी की बौछार शुरू कर देता है, इससे बंदर व अन्य जीव डर कर भाग जाते हैं.
फुली ऑटोमेटिक कंट्रोल यूनिट को जैसे ही पता चलता है यानी उसका सेंसर पता लगाता है कि बन्दर भाग गए हैं वैसे ही वह खुद ब खुद बंद हो जाता है.
मुरादाबाद इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एमआईटी)
इस विशेष तकनीक को विकसित किया है मुरादाबाद इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एमआईटी की इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर क्षितिज सिंघल और सहायक प्रवक्ता डॉ अमित सक्सेना ने. प्रोफ़ेसर क्षितिज और डॉक्टर अमित ने मीडिया को बताया कि उनके शोध में 6 महीने का समय लगा है और महज ₹5000 का खर्च आया है. इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है.
पेटेंट के बाद आईआईटी दिल्ली की ओर से अधिकृत एजेंसी आएगी और शोध को देखने के बाद प्रमाण पत्र जारी करेगी इसके बाद ही किसी कंपनी से उपकरण तैयार करने में मध्यस्था निभाई जाएगी जैसे ही आईआईटी की टीम की ओर से हरी झंडी मिलेगी वैसे ही इस उपकरण को बाजार में उतारने के लिए व्यावसायिक रूप से निर्माण शुरू कर दिया जाएगा.
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