पेरोव्स्काइट तकनीक का सोलर पैनल महज 8 से 10 रूपये प्रति वाट की कीमत में आता है, जबकि वर्तमान में पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की कीमत 25 से ₹28 प्रति वाट और मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की कीमत 30 से ₹36 प्रति वाट तक चल रही है. ऐसे में कीमत में बेहद सस्ता यह पेरोव्स्काइट सोलर पैनल बिजली बनाने के मामले में वर्तमान में प्रचलित सभी सोलर पैनलों से कहीं अधिक आगे है.
यदि आप भी इस तकनीक के सोलर पैनल में रुचि रखते हैं और इसे खरीदना चाहते हैं तो अब आपका इंतजार खत्म होने वाला है, क्योंकि अब भारत में ही कई कंपनियों ने इस पैनल पर रिसर्च करना और इसकी मैन्युफैक्चरिंग करना शुरू कर दिया है.
पेरोव्स्काइट सोलर पैनल की कीमत क्या है?
भारत में पेरोव्स्काइट सोलर पैनल कौन सी कंपनी बनाती है?
पेरोव्स्काइट सोलर पैनल कैसे काम करते हैं?
पेरोव्स्काइट सोलर पैनल के क्या फायदे हैं?
पेरोव्स्काइट सोलर पैनल कहां से खरीद सकते हैं?
दोस्तों अगर आपके पास भी यह सारे सवाल हैं और आप भी पेरोव्स्काइट सोलर पैनल के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें साथ ही हमारे साथ सोशल मीडिया पर जुड़ना न भूलें क्योंकि हम यहां सोलर और तकनीक से जुड़ी ऐसी ही नई जानकारी लेकर आते रहते हैं.पेपेरोव्स्काइट सोलर पैनल क्या है? | Perovskite solar panels ki kimat kya hai
दोस्तों और रूस के खनिज विज्ञानी लेव्स पेरोव्स्काईट ने पहली बार वर्ष 2006 में पेरोव्स्काइट खनिजों पर रिसर्च किया था, उनके शोध का परिणाम वर्ष 2009 में प्रकाशित हुआ. पेरोव्स्काइट के क्रिस्टल संरचना कैल्शियम टाइटेनियम ऑक्साइड की संरचना के समान ही होती है, लेकिन पैरोस्काइट सोलर सेल में वास्तव में यह खनिज नहीं होता है.
पेरोव्स्काइट सोलर कैसे बनता है? | क्यों perovskite सौर सेल सिलिकॉन से बेहतर है?
पेरोव्स्काइट सोलर सेल को बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थ जैसे सीसा, मिथायलेमोनियम, क्लोरीन, आयोडीन आदि का उपयोग किया जाता है. यह सभी सामग्रियां वर्तमान में सोलर पैनलों में प्रयोग होने वाले सिलिकॉन की तुलना में सूर्य के प्रकाश को कहीं अधिक अवशोषित करने के लिए. जानी जाती हैं
यही कारण है कि पेरोव्स्काइट सोलर सेल सेलकॉन सेल की अपेक्षा कई गुना अधिक बिजली का निर्माण कर सकता है.
पेरोव्स्काइट सोलर सेल का निर्माण कैसे होता है? | perovskite solar cell manufacturing process
दोस्तों पेरोव्स्काइट सोलर सैल के निर्माण में कई प्रकार के रासायनिक सूत्र शामिल होते हैं, आइये इसको सरल भाषा में समझने की कोशिश करते हैं.
दोस्तों सबसे पहले मिथाइल मोनियम हेलाइड, मिथायलेमोनियम लेड आयोडाइड और अन्य एडिटिव जैसी सामग्रियों को मिलाकर घोल तैयार किया जाता है.
इसके बाद इस रासायनिक घोल को धातु ऑक्साइड जैसे कांच, फ्लैक्सिबल बहुलक या ट्रांसपेरेंट पदार्थ जैसे सब्सट्रैक्ट पर डाला जाता है. इस घोल को ऐसे किसी पदार्थ पर डालने के लिए तथा एक समान मोटाई प्राप्त करने के लिए स्प्रे का प्रयोग किया जाता है ताकि पूरे सतह पर एक समान लेयर तैयार हो जाए.
इस घोल को पूरी सतह पर तेजी से फैलाने के लिए बेहद तेज गति से घुमाया जाता है. इसे कुछ और आसान समझने के लिए आप केक बनाते समय तेजी से घुमाई जाने वाले स्टैंड की कल्पना कर सकते हैं
अगले चरण में विलायक वाष्पित होकर पेरोव्स्काइट फिल्म को पीछे छोड़ देता है, एक पेरोव्स्काइट सोलर सेल दूसरी किसी भी फोटो वोल्टिक तकनीकों के समान ही काम करता है अर्थात यह बिजली पैदा करने के लिए सूर्य की रोशनी को अवशोषित करता है.
पेरोव्स्काइट सोलर कैसे बिजली बनाता है | perovskite solar cell working principle
दोस्तों जब सूर्य की रोशनी पेरोव्स्काइट सोलर सेल की अवशोषण परत से स्पर्श करती है, तो सूर्य के प्रकाश में मौजूद फोटोन इलेक्ट्रॉनों से टकराते हैं, इस प्रक्रिया से विद्युत आवेश पैदा होता है. पैरोस्काइट सोलर सेल की इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होने या एटीएलएल दोनों को एकत्र करती है और उनके प्रवाह को नियंत्रित कर लेती है. पेरोव्स्काइट सेल के साथ बिजली उत्पादन का यह कदम इस की दक्षता को बढ़ाता है और बिजली की हानि नहीं होने देता.
पैरोस्काइट सोलर की एफिशिएंसी क्या है? | perovskite सौर सेल दक्षता क्या है?
जैसा कि आप जानते ही हैं कि वर्तमान में सबसे बेहतर तकनीकी के सोलर पैनल भी 20 से 23 फ़ीसदी से अधिक एफिशिएंसी वाले नहीं होते. जब के पेरोव्स्काइट सोलर पैनल 30 फ़ीसदी से अधिक एफिशिएंसी वाले होते हैं. इतना ही नहीं शोधकर्ताओं का दावा है कि जल्द ही इन सोलर पैनल ओं की एफिशिएंसी 40 फ़ीसदी तक बढ़ाई जा सकती है. जाहिर सी बात है इनकी एफिशिएंसी सिलिकॉन सोलर पैनलों से कहीं अधिक है.
शायद यही कारण है कि इस समय पूरी दुनिया अपने आवासीय औद्योगिक और व्यावसायिक बिजली की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस तकनीकी सोलर पैनल के बाजार में आने का इंतजार कर रही है.
पेरोव्स्काइट सोलर सेल की कीमत क्या है | Perovskite solar cell price in India
किसी भी चीज की गुणवत्ता के साथ-साथ जो सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है जो कि उसे बाजार में टिकने या न टिकने का कारण बनाती है वह है उसकी कीमत. इस मामले में पेरोव्स्काइट सोलर तकनीक बाजी मारती दिखाई देती है क्योंकि यह तकनीक अत्यधिक कार्य कुशल होने के साथ-साथ बेहद सस्ती भी है.
जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि वर्तमान में पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की कीमतें और मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की कीमतें ₹26 प्रति वाट से लेकर ₹38 प्रति वाट तक बाजार में चल रही हैं. जबकि पेरोव्स्काइट सोलर पैनल की वर्तमान कीमत 12 से ₹13 प्रति वाट तक है. इतना ही नहीं इस तकनीक के सोलर पैनल पर काम करने वाली कंपनियों के अनुसार जैसे-जैसे इस तकनीक का और विकास होगा और भी कंपनियां बाजार में आएगी इसकी कीमत घटकर 7 से ₹8 प्रति वाट तक हो जाएगी.
पेरोव्स्काइट सोलर पैनल के क्या फायदे हैं? | पेरोव्स्काइट सोलर सेल का क्या फायदा है?
पेरोव्स्काइट सोलर पैनल के कई एक फायदे हैं आइए इन्हें बिंदुवार समझते हैं.
- यह सोलर पैनल काफी अधिक सस्ता है.
- यह सोलर पैनल सिलिकॉन सोलर पैनल की अपेक्षा अधिक बिजली का निर्माण करता है.
- इन सोलर पैनलों के उत्पादन की लागत काफी कम है.
- यह न्यूनतम क्षेत्रफल में अधिकतम बिजली बना सकते हैं.
- इन सोलर पैनल ओं के उत्पादन के लिए सिलिकॉन जैसी दुर्लभ धातु का उपयोग नहीं किया जाता है. इन पैनलों के निर्माण में जिन सामग्रियों की या जिन धातुओं की उपयोगिता होती है वह बहुतायत में पूरी दुनिया में उपलब्ध है.
- सिलिकॉन सोलर पैनल की तुलना में पेरोव्स्काइट सोलर पैनल के निर्माण के लिए बेहद कम बिजली की आवश्यकता होती है.
पेरोव्स्काइट सोलर पैनल के नुकसान
दोस्तों जैसा कि आप जानते ही हैं हर तकनीक के कुछ फायदे तो कुछ नुकसान भी होते हैं पेरोव्स्काइट सोलर पैनल के भी कुछ नुकसान है.
- पेरोव्स्काइट सोलर पैनल की लाइफ सिलिकॉन सोलर पैनल की अपेक्षा काफी कम होती है.
- यह गर्मी ऑक्सीजन प्रकाश और नमी के लगातार संपर्क में रहने से आसानी से टूट जाते हैं. इस पैनल को मजबूत और टिकाऊ बनाने के लिए अभी और अधिक शोध की आवश्यकता है.
- इस पैनल के निर्माण में सीसा एवं अन्य न्यूरोटॉक्सिक पदार्थ का उपयोग किया जाता है ऐसे में यह रासायनिक रूप से मानव जीवन के लिए खतरनाक हो सकते हैं. हालांकि वैज्ञानिक इन्हें non-toxic बनाने के लिए गंभीरता से काम कर रहे हैं.
भारत में पेरोव्स्काइट सोलर पैनल बनाने वाली कौन सी कंपनी है? | perovskite solar cell manufacturers in india
पी3सी टेक्नोलॉजी एंड सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड भारत की पहली पेरोव्स्काइट सोलर सेल्स कंपनी है. यह कंपनी p3c नैनोटेक्नोलॉजी आधारित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को विकसित करने के लिए कार्य कर रही है. आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों के द्वारा प्रमोटेड यह कंपनी पेरोव्स्काइट सोलर सेल के उत्पादन के लिए आवश्यक मशीनरी और प्रौद्योगिकी दोनों के डिजाइन और विकास की दिशा में काफी मजबूती से काम कर रही है.
यदि आप इस कंपनी के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो आप कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट https://p3ctsl.com पर विजिट कर सकते हैं.
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