Upcoming solar panel technology | अब कभी बेकार नहीं होंगे सोलर पैनल | 25 साल ही नहीं अब सदियों तक काम में आयेगें सोलर पैनल
दोस्तों, वैसे तो सोलर पैनल पर 25 साल की वारंटी आती है और यह काफी लंबे समय तक काम करते हैं लेकिन अब एक ऐसी तकनीक को तैयार किया गया है जिसकी वजह से अब सोलर पैनल कभी भी बेकार नहीं होंगे. सोलर पैनल कचरे में कभी भी परिवर्तित नहीं होंगे. आइए जानते हैं क्या है यह तकनीक? और कैसे यह तकनीक सोलर इंडस्ट्री की तकदीर बदल सकती है.

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दोस्तों सोलर पैनलों के तेजी से बढ़ते प्रयोग को लेकर कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं की ओर से लगातार यह चिंता जताई जाती रही है कि भविष्य में सोलर पैनलों का कचरा पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या हो सकता है. इन पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि सोलर पैनलों से जितना फायदा नहीं हो रहा है वर्तमान में उससे कहीं अधिक नुकसान सोलर पैनलों के कचरे से होगा.
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पूरी दुनिया में पर्यावरण पर सोलर पैनल के प्रभाव को लेकर काफी समय से अध्ययन किया जा रहा है. पर्यावरण अध्यन कर्ताओं का मानना है कि आने वाले कुछ दशकों में सोलर पैनल के कचरे का जो अंबार तैयार होगा वह निश्चित रूप से पर्यावरण के लिए काफी हानिकारक हो सकता है.

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लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित कर ली है जिसकी बदौलत सोलर का कचरा अब कभी बेकार नहीं होगा ना ही इसकी डंपिंग समस्या बनेगी. अनुपयोगी सोलर पैनल के रीसाइक्लिंग की यह तकनीक कितनी आधुनिक और उपयोगी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस तकनीक के द्वारा सोलर पैनल को पूरी तरह रिसाइकल किया जा सकेगा.

इससे कई मूल्यवान संसाधन मिलेंगे. पारंपरिक खनन उत्पादन प्रक्रिया की तुलना में रीसाइक्लिंग से पर्यावरण को भी बेहद कम नुकसान होगा. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने सोलर पैनल  के घटकों और सामग्री की प्रभावी रीसाइक्लिंग की शानदार तकनीक विकसित की है.

आईआईटी मंडी के इन शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तकनीक की बदौलत सोलर पैनल को बार-बार रीसाइक्लिंग करके प्रयोग किया जा सकेगा और सोलर पैनलों का कचरा पर्यावरण के लिए समस्या नहीं बनेगा.

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