कचरे के भी फिर गए दिन | अब घर में कूड़े कचरे से बनेगी बिजली | सरकार फ्री में देगी कचरे से बिजली बनाने वाला प्लांट | Waste to energy plant in India
कहा जाता है कचरे के भी दिन फिरते हैं, अब वह समय आ गया है जब कचरे की भी दिन फिर गए हैं. जी हां अब आपके घर में पैदा होने वाले बेकार के कचरे से बिजली तैयार की जा सकेगी. ऐसे में आप कचरे को कचरा समझने की भूल मत करना. बल्कि यह आप के लिए बड़ा ही उपयोगी साबित होने वाला है. क्योंकि अब इससे आप इतनी बिजली तैयार कर सकते हैं जिससे आपके घर की ऊर्जा जरूरतें आसानी से पूरी हो सकती हैं.
Waste to energy plant in India
दरअसल हाल ही में आयोजित किए गए अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े हुए विशेषज्ञों की दो दिवसीय कार्यशाला में एक श्वेत पत्र तैयार किया गया है. इस श्वेत पत्र में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में दिन पर दिन बढ़ते कचरे के ढेर से निजात पाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करते हुए कचरे का उचित प्रबंधन करने की आवश्यकता है.
इस कार्यशाला में आईआईटी, टाटा रिसर्च सेंटर जैसे देश के नामी संस्थानों ने कचरे के माध्यम से बिजली उत्पादन करने की फोर्स कार योजना प्रस्तुत की.
waste to energy conference 2023
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में इस समय हर साल 6.30 करोड़ टन कचरा पैदा होता है. वर्ष 2030 तक कचरे की यह मात्रा बढ़कर 16.30 करोड़ टन होने की उम्मीद है. वही वर्ष 2050 तक कचरे का ढेर 43.6 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया जा रहा है. ऐसे में यदि कचरे का उचित प्रबंधन न किया गया तो यह पर्यावरण के लिए बहुत बड़ी समस्या बन सकता है.
कार्यशाला में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के अनुसार नगरपालिका क्षेत्रों में लगभग 75 से 80% कचरे को एकत्र किया जाता है और इसमें से मात्र 22% कचरे का ही. उचित निस्तारण हो पाता है बाकी का कचरा यूं ही फैला रहता है
what is the concept of waste to energy Hindi | कचरे से बिजली कैसे बनती है
कार्यशाला में इंटरनेशनल क्लाइमेट चेंज एंड सस्टेनेबिलिटी एक्शन फाउंडेशन, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस आदि संस्थानों के विशेषज्ञों और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. तथा देश में बढ़ते कचरे के ढेर के समाधान के लिए चर्चा की.
कचरे से कितनी बिजली बनती है
कार्यशाला में कहा गया कि प्रति टन कचरे से 1 किलो वाट बिजली का उत्पादन किया जा सकता है, इतना ही नहीं नगर पालिकाओं के अतिरिक्त घरेलू स्तर पर भी छोटे कचरा निष्पादन संयंत्र लगाए जा सकते हैं जो कि घरों में ही कचरे का उचित निपटान सुनिश्चित करेंगे.
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद के विशेष कार्य अधिकारी राकेश कुमार ने विभिन्न स्त्रोतों से उत्पन्न कचरे को अलग अलग करने यानि छांटने और मीथेन प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करने की आवश्यकता बताई. उन्होंने कहा कि वर्तमान में एआई का हर जगह प्रयोग हो रहा है ऐसे में कचरा प्रबंधन के लिए भी यदि AI का प्रयोग किया जाए तो बहुत ही अच्छे रिजल्ट आने की पूरी संभावना है.
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