भारत में करोड़ों लोग प्रतिदिन मंदिर जाते हैं, और अपने आराध्य के चरणों में फूल अर्पित करते हैं. आपने भी अक्सर मंदिर में जाकर फूल चढ़ाए होंगे. पर क्या आप जानते हैं इसके बाद इन फूलों का क्या होता है? भगवान के चरणों में अर्पित किए गए यह फूल अगले दिन कूड़े के ढेर में होते हैं. इन्हें नगर पालिका, नगर निगम की गाड़ियों के माध्यम से फेंक दिया जाता है. वहीं कई बार ऐसा भी होता है कि मंदिर से निकले फूलों को नदियों में बहा दिया जाता है.

Phool startup kanpur full information in hindi

इतनी बड़ी मात्रा में नदियों में फूलों को बहाए जाने से जहां नदियों में प्रदूषण होता है वही भगवान के चरणों में चढ़ने वाले फूलों की इस दुर्दशा से श्रद्धा का अपमान भी होता है. एक अध्ययन के अनुसार भारत में हर दिन मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले लगभग 80 करोड़ टन से अधिक फूल नदियों में प्रवाहित कर दिए जाते हैं. 

What is Phool startup?

कानपुर के एक युवा ने जब अपने विदेशी दोस्त के साथ गंगा के तट पर घूमते समय लोगों को नदियों में इस तरह फूलों को बहाते देखा तो उन्हें काफी दुख पहुंचा. वही उनके विदेशी दोस्त ने भी जब उनसे पूछा कि आखिर लोग नदियों में इतने फूल क्यों बहा रहे हैं तो उनके पास कोई जवाब नहीं था. 



जी हां हम बात कर रहे हैं फूल स्टार्टअप के संस्थापक अंकित अग्रवाल की. अंकित अग्रवाल चेक रिपब्लिक से आए अपने दोस्त के साथ गंगा जी के किनारे बैठे हुए थे. मकर संक्रांत का दिन था, लोग काफी संख्या में गंगा में स्नान कर रहे थे और कई लोडर, ऑटो आदि से ला- लाकर गंगा में उसी समय फूल भी काफी संख्या में बाहर जा रहे थे.

उनके विदेशी दोस्त ने जब पूछा कि आखिर जब यहां पर लोग स्नान कर रहे हैं तो इस नदी में फूल डालकर इसे प्रदूषित क्यों किया जाता है. अंकित ने जब इसके लिए सरकार और सिस्टम को दोष देना शुरू किया तो उनके विदेशी दोस्त ने कहा कि तुम खुद ही कुछ क्यों नहीं करते.

और ऐसे हुई फूल स्टार्टअप की शुरुआत | Ankit agarwal phool biography in hindi

बस यहीं से अंकित के मन में यह बात बैठ गई, उन्होंने तय किया कि गंगा में बहाए जाने वाले फैक्ट्रियों के प्रदूषण युक्त पानी का तो वह कुछ नहीं कर सकते लेकिन इन फूलों का कुछ जरूर करेंगे. फूलों को गंगा में बहाने से कैसे रोका जाए और इनका क्या उपयोग किया जा सकता है इस पर अंकित ने रिसर्च करना शुरू किया. 

अपने रिसर्च और इस सवाल के जवाब की तलाश में वह पहुंचे आईआईटी कानपुर. आईआईटी में रिसर्च के दौरान पता चला कि फूलों से अगरबत्ती धूप बत्ती और फ्लेदर (फूलों से बना हुआ एक विशेष प्रकार का लेदर) तक बनाया जा सकता है. 

स्विट्जरलैंड की नौकरी छोड़ शुरू किया स्टार्टअप 

फूलों से इतने महत्वपूर्ण उत्पादों का निर्माण हो सकता है यह जानकारी मिलते ही अंकित ने स्विट्जरलैंड की अपनी शानदार नौकरी को छोड़कर महज ₹1 लाख की अपनी बचत से फूल स्टार्टअप की शुरुआत कर दी. उस समय फूलों से यह सब उत्पाद बनाने का काम भारत में बिल्कुल नया था. 

फूलों की प्रोसेसिंग कैसे होगी? कैसे उनसे प्रोडक्ट बनाई जाएंगी? इसके लिए कोई रेडीमेड टेक्नोलॉजी उपलब्ध नहीं थी. 

आईआईटी कानपुर ने थामा हाथ

अंकित की समस्या को हल किया आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने. आईआईटी के विशेषज्ञों ने फूलों की प्रोसेसिंग से लेकर अगरबत्ती बनाने और फेदर तैयार करने तक की पूरी प्रक्रिया को समझने और इसे उपयोग में लाने की पूरी जानकारी अंकित और उनकी टीम को प्रदान की.

मंदिर के फूलों से अगरबत्ती कैसे बनाएं

टेक्नोलॉजी की जानकारी प्राप्त होने के बाद अब बात आई फूलों को एकत्रित करने की. जब अंकित ने कई मंदिरों से फूलों को मांगा तो होने यह कहते हुए मना कर दिया गया कि वह फूलों को गंगा जी में ही प्रभावित करेंगे, ऐसे ही किसी को नहीं दे सकते. काफी समझाने के बाद कुछ मंदिर उन्हें फूल देने को तैयार हो गए. 

फूल स्टार्टअप की स्थापना कब हुई | Who is the owner of Phool?

अंकित ने वर्ष 2017 में फूल नाम से एक स्टार्टअप की स्थापना की. शुरू शुरू में वह खुद ही मंदिरों में जाते थे और अपने हाथों से मंदिर में चढ़ाए हुए फूलों को इकट्ठा करके साफ करते और उनकी प्रोसेसिंग करके उनसे अगरबत्ती तैयार करते. 

कुछ दिनों बाद अंकित के दोस्त अपूर्व भी उनके साथ जुड़ गए अपूर्व के पास बाजार की काफी समझत थी और उन्हें मार्केटिंग का भी आईडिया था. किसी भी प्रोडक्ट को बनाना जितना महत्वपूर्ण है उससे अधिक महत्वपूर्ण है उसकी मार्केटिंग करना. अपूर्व के रूप में अंकित को अब एक मार्केटिंग एक्सपर्ट मिल चुका था ऐसे में उनका स्टार्टअप धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगा.

फूलों से अगरबत्ती धूपबत्ती और लेदर कैसे बनता है

इसके बाद काम को व्यवस्थित ढंग से शुरू किया गया अंकित ने कुछ लोडर तैयार किए यह लोडर मंदिरों में जाते वहां से फूल उठाकर उन्हें अपनी फैक्ट्री में लेकर आते. फैक्ट्री में लाने के बाद फूलों से नमी को हटाया जाता है और उन्हें सुखाया जाता है. इसके बाद फूलों की प्रोसेसिंग की जाती है उनके बीच के भाग और पत्तियों को अलग किया जाता है इसके बाद मशीन में डालकर उनकी प्रोसेसिंग की जाती है.

इस प्रक्रिया से विशेष प्रकार का पाउडर तैयार हो जाता है इस पाउडर को आटे की तरह गूंथ लिया जाता है इसी आटे से हाथों की मदद से अगरबत्ती और धूपबत्ती का निर्माण होता है. 

500 महिलाओं को मिल रहा है रोजगार

आज अंकित के स्टार्टअप में 500 से अधिक महिलाएं रोजगार प्राप्त कर रही हैं, कंपनी के साथ में कई और युवा भी काम कर रहे हैं. आज फूल स्टार्टअप 200 करोड़ रुपए की कंपनी बन चुकी है. कंपनी के पास 8 फैक्ट्रियां हैं जहां पर आज भी हाथों से अगर बत्ती, धूपबत्ती को बनाने का काम किया जाता है.

फूल के निवेशकों में आलिया भट्ट भी शामिल

फूल के तेजी से बढ़ते व्यवसाय के बाद कंपनी की ओर से बड़े स्तर पर निवेश उठाया जा रहा है. कंपनी में देश दुनिया के कई निवेशकों ने निवेश किया है जिनमें सोशल अल्फा, डीआर के फाउंडेशन, आईआईटी कानपुर, आईएएन फंड, सैन फ्रांसिस्को फाउंडेशन के साथ बॉलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट ने भी निवेश किया है.

कानपुर के फूल स्टार्टअप का पता

फूल स्टार्टअप ने भौती प्रतापपुर कानपुर में अपना कारपोरेट कार्यालय बनाया हुआ है. 


फूल स्टार्टअप की आधिकारिक वेबसाइट | Ankit agarwal phool biography in hindi

यदि आप भी इस स्टार्टअप के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, या फिर आप अंकित अग्रवाल उनकी टीम या उनकी कंपनी से संपर्क करना चाहते हैं तो आप कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर संपर्क कर सकते हैं.

आशा है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी यदि आपका कोई सवाल है तो हमें कमेंट करके अवश्य बताएं साथ ही हमारे साथ सोशल मीडिया पर अवश्य जोड़ें.

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