Elon musk neuralink in hindi |  एलन मस्क की न्यूरो लिंक को मिली मंजूरी, इंसान के दिमाग में लगाएंगे माइक्रोचिप 

अमेरिकी अरबपति और एक्स, स्पेसएक्स, व टेस्ला जैसी कंपनियों के संस्थापक एलन मस्क की एक और कंपनी न्यूरोलिक को इंसानों पर क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी प्रदान कर दी गई है. एलन मस्क ने न्यूरोलिंक को इंसानों पर टेस्टिंग की मंजूरी मिलने पर खुशी जताते हुए कहा है कि उनकी इस टेक्नोलॉजी से इंसान AI के बराबर क्षमतावन हो सकेंगे इतना ही नहीं लकवा, मानसिक विकलांगता जैसे रोगियों को भी ठीक किया जा सकेगा

न्यूरालिंक क्या है? | Elon musk neuralink in hindi

दोस्तों न्यूरालिंक एलन मस्क की एक कंपनी है जो कि एक विशेष तकनीक पर पिछले 6 वर्षों से भी अधिक समय से शोध कर रही है. इस कंपनी ने एक विशेष माइक्रोचिप डिवेलप की है. जो मस्तिष्क के संकेतों को एकत्रित कर उनका विश्लेषण कर सकती है. कंपनी का दावा है कि उसकी यह माइक्रोचिप ब्रेन डैड मरीजों को भी ठीक करने में सक्षम है. इस माइक्रोचिप के माध्यम से इंसान का मस्तिष्क किसी कंप्यूटर की तरह तेजी से काम करने लगेगा.


एलन मस्क ने X पोस्ट कर बताई न्यूरालिंक की खासियत | Elon musk neuralink update

एलन मस्क ने अपनी इस एक्सपेरिमेंटल डिवाइस के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि जल्द ही पहले मानव मरीज को न्यूरालिंक डिवाइस लगाई जाएगी, अपनी इस डिवाइस के परीक्षण के लिए कंपनी न्यूरालिंक चिप को मानव मस्तिष्क में लगा रही है, कम्पनी का कहना है कि उनकी यह माइक्रोचिप मस्तिष्क में लगने के बाद पूरे शरीर की गति को बहाल करने में मदद मिलेगी. 

मस्क ने कहा है कि कल्पना कीजिए अगर स्टीफन हॉकिंग के पास न्यूरलिंक डिवाइस होती तो क्या होता. ज्ञातव्य हो कि महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग लकवे के शिकार थे जिसके कारण उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा और एक व्हीलचेयर के सहारे ही उन्होंने अपने सारे रिसर्च किए.

एलन मस्क की न्यूरालिंक को पिछले वर्ष अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने ह्यूमन ट्रायल करने की अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था. लेकिन इस वर्ष अमेरिकी विभाग ने एलन मस्क की इस तकनीक को इंसानों पर क्लिनिकल ट्रायल के लिए मंजूरी प्रदान कर दी है. 

किन रोगियों पर परीक्षण होगा न्यूरालिंक का

न्यूरालिंक डिवाइस का परीक्षण वर्टिकल रीढ़ की हड्डी की चोट, लकवा ग्रस्त, मानसिक विकलांगता जैसे रोगियों पर किया जाएगा. इस ट्रायल में हिस्सा लेने वाले रोगियों के मस्तिष्क में रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस नाम की माइक्रोचिप को प्रत्यारोपित किया जाएगा. इसके बाद इस माइक्रोचिप के माध्यम से रोगियों के शरीर को स्वस्थ बनाने का प्रयास किया जाएगा. 

न्यूरोसाइंटिस्ट ने जताई चिंता

हालांकि इन दावों पर कई न्यूरोसाइंटिस्ट ने शंका जताई है, उनका कहना है कि मस्क की यह तकनीक काफी खतरनाक साबित हो सकती है. आपका इसे लेकर क्या विचार है हमें कमेंट करके अवश्य बताएं. साथ ही अगर वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो हमारे साथ सोशल मीडिया पर अवश्य जुड़ें ताकि तकनीक से जुड़ी नई जानकारी आपको निरंतर प्राप्त होती रहे. 

 


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