क्या आप जानते हैं कि सोलर पैनल में चांदी (सिल्वर) का प्रयोग किया जाता है, जी हां बिल्कुल सही सुना आपने. सोलर पैनलों को बनाने के लिए चांदी की पेस्ट का प्रयोग किया जाता है. यदि आप नहीं जानते तो आपको बता दें कि चांदी सबसे अधिक बिजली संचालित करने वाली धातुओं में से एक धातु है. चूंकि चांदी में सबसे अधिक तेजी से बिजली को ट्रांसफर करने की क्षमता है इसीलिए सोलर इंडस्ट्री में चांदी के प्रयोग को प्राथमिकता दी जाती है.
दुनिया के 90 फ़ीसदी से अधिक सोलर पैनल में होता है सिल्वर का प्रयोग
चांदी के विद्युत सुचालक होने और तेजी से इलेक्ट्रिसिटी को ट्रांसफर करने की क्षमता के कारण दुनिया के 90 फ़ीसदी से अधिक कंपनियां अपने सोलर पैनलों में चांदी के पेस्ट का प्रयोग करते हैं. वर्तमान में किसी सोलर पैनल की लागत का लगभग 10 फ़ीसदी हिस्सा चांदी होता है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में सोलर सेल निर्माण करने वाली कंपनियों की ओर से प्रति पीस सिल्वर पेस्ट की खपत को लगभग आधा कर दिया गया है, लेकिन इसके बाद भी सोलर सेल निर्माण में चांदी की महत्वपूर्ण भूमिका है.
सोलर पैनल में होता है कितनी चांदी का इस्तेमाल
PERC के 8.6 मिलीग्राम प्रति वाट की तुलना में TOPCON 12 मिलीग्राम और हेट्रो जंक्शन सेल 22 मिलीग्राम चांदी का इस्तेमाल करते हैं. सोलर पैनल में किए गए यह बदलाव सोलर की एफिशिएंसी को 21फ़ीसदी से बढाकर वर्ष 2030 तक 25 फ़ीसदी तक पहुंचने पर काम कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ष 2040 के दशक के अंत तक सोलर पैनल की एफिशिएंसी 40 फीसदी को भी पार कर जाएगी.
दुनिया भर में चांदी की खपत का 10 प्रतिशत से अधिक हिस्सा सोलर इंडस्ट्री में प्रयोग हुआ
द सिल्वर इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में दुनिया भर में हुई चांदी की कुल खपत का दसवां हिस्सा अकेले सोलर पैनल इंडस्ट्री में लग गया था. सोलर पैनलों की एफिशिएंसी बढ़ाने के क्रम में संभावना है कि सोलर पैनल में सिल्वर के प्रयोग को और अधिक बढ़ाया जाएगा ताकि सोलर पैनलों को अधिक ऊर्जा कुशल बनाया जा सके.
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